Saturday, October 12, 2024

इतिहास गा रहा है

 इतिहास गा रहा है (गीत सुने)

इतिहास गा रहा है, दिन रात गुण हमारा,
दुनिया के लोग सुन लो, यह देश है हमारा।।

इस पर जनम लिया है, इसका पिया है पानी,
माता है यह हमारी, यह है पिता हमारा।।

यह देवता हिमालय, हमको पुकारता है,
गुण गा रही है निशिदिन, गंगा की शुभ्र धारा।।

पोरस की वीरता को, झेलम तू ही बता दे,
यूनान का सिकंदर, था तेरे तट पे हारा।।

उज्जैन फिर सुना दे, विक्रम की वह कहानी,
जिसमें प्रकट हुआ था, संवत् नया हमारा।।

आता है याद रह-रह, गुप्तों का वह ज़माना,
सारे जहाँ पे छाया, वह स्वर्ण युग हमारा।।

चित्तौड़, रायगढ़ और, चमकौर फिर है गरजा,
सदियों लड़ा निरन्तर, आज़ाद ख़ूँ हमारा।।

दी क्रान्तिकारियों ने, अंग्रेज़ को चुनौती,
पल-पल प्रकट हुआ था, स्वातन्त्र्य वह हमारा।।

हम इनको भूल जायें, सम्भव नहीं कभी यह,
इनके लिये जियेंगे, यह धर्म है हमारा।।

होगा भविष्य उज्ज्वल, संसार में अनोखा,
बतला रहा है हमको, यह संगठन हमारा।।