सतसैया कै दोहरे अरु नावकु कै तीरु।
देखत तौ छोटैं लगैं घाव करैं गंभीरु॥
देखत तौ छोटैं लगैं घाव करैं गंभीरु॥
सूचना
हिन्दू साम्राज्य दिवस
15 जून 2019 शनिवार
बंधुओ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रत्येक वर्ष 15 जून को हिन्दू साम्राज्य दिवस के रुप में मनाता है। हिन्दू साम्राज्य दिवस का प्रारंभ छत्रपति शिवाजी जी ने सभी हिन्दुओं को मुग़ल और यवन आततायियों के विरुद्ध एकजुट होकर रहने और हिन्दू शक्ति की पुनरुत्थान के लिए किया था ।
अपनी सोसायटी के *सेंट्रल पार्क में सुबह 6:30 से 7:30 बजे तक लगने वाली शाखा में भी इस पावन पर्व को 15 जून दिन शनिवार को मनाया जाएगा।* आप सब से आग्रह है कि इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर गौरवशाली हिन्दू जीवन पद्धति और शक्ति को इस विघटित समाज में पुनः स्थापित करने में अपना योगदान देने का कष्ट करें।
धन्यवाद
निवेदक: भाऊराव देवरस शाखा, ला रेसिडेन्सिया
धार्मिक या वैज्ञानिक ? ? ?
एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से फोन पर बात करते समय पूँछ बैठी "बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?"
बेटे ने माँ को बताया - "माँ, मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ, मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ, विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन क्या आपने उसके बारे में सुना है?"
उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली - “मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ, बेटा ... मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है"।
“हो सकता है माँ !” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा ..
“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो” उसकी माँ ने प्रतिकार किया... “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है? विष्णु के दस अवतार?”
बेटे ने सहमति में कहा "हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"
माँ फिर बोली: "लेना-देना है मेरे लाल... मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हैं ?"
"पहला अवतार था मत्स्य अवतार, यानि मछली| ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ| यह बात सही है या नहीं ?”
बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक सुनने लगा |
उसके बाद आया दूसरा कूर्म अवतार, जिसका अर्थ है कछुआ, क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया 'उभयचर (Amphibian)'| तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया|
तीसरा था वराह अवतार, जंगली सूअर, जिसका मतलब जंगली जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि नहीं होती है| तुम उन्हें डायनासोर कहते हो, सही है? बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई|
चौथा अवतार था नृसिंह अवतार, आधा मानव, आधा पशु, जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों तक विकास|
पांचवें वामन अवतार था, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था| क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे, होमो इरेक्टस और होमो सेपिअंस, और होमो सेपिअंस ने लड़ाई जीत ली|"
बेटा दशावतार की प्रासंगिकता पर स्तब्ध हो रहा था जबकि उसकी माँ पूर्ण प्रवाह में थी...
छठा अवतार था परशुराम - वे, जिनके पास कुल्हाड़ी की ताकत थी, वो मानव जो गुफा और वन में रहने वाला था| गुस्सैल, और सामाजिक नहीं|
सातवां अवतार था मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति, जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार|
आठवां अवतार था जगद्गुरु श्री कृष्ण, राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर फला-फूला जा सकता है|
नवां अवतार था भगवान बुद्ध, वे व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव के सही स्वभाव को खोजा| उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की|
और अंत में दसवां अवतार कल्कि आएगा, वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो| वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा|
बेटा अपनी माँ को अवाक होकर सुनता रहा,
अंत में बोल पड़ा "यह अद्भुत है माँ, भारतीय दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है"।
पुराण अर्थपूर्ण हैं, सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए धार्मिक या वैज्ञानिक।
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अध्याय १४ गुणत्रयविभागयोग
श्रीभगवानुवाच -
परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानां ज्ञानमुत्तमम् ।
यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ॥ १४ -१ ॥
श्री भगवान् बोले - ज्ञानों में भी अति उत्तम उस परम ज्ञान को मैं फिर कहूँगा,
जिसको जानकर सब मुनिजन इस संसार से मुक्त होकर परम सिद्धि को प्राप्त हो गये हैं ।
॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥
॥ श्रीकृष्णा अर्पणमस्तु ॥
॥ जय श्रीकृष्णा जी ॥
Bhagavad-Gita Chapter 14
Bhagavad Gita: Sanskrit recitation with Sanskrit text - Chapter 14
susanskrit org bhagwad-gita
Bhagavad Gita 14th chapter chanting out of memory by 8 year old Abhigya
shrimad bhagwat geeta adhyay 14 by somnath sharma
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* जागरूकता *
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हेमचंद्र विक्रमादित्य ( हेमू ) --
आपको इतिहास की किताबों ने ये तो बताया होगा कि हुमायूँ के बाद शेरशाह सूरी दिल्ली की गद्दी पर काबिज हुआ, इन्हीं किताबों में आपने ये भी पढ़ा होगा कि हुमायूं ने किसी मल्लाह को एक दिन के लिये राज सौंपा था जिसने चमड़े के सिक्के चलाये थे, उन्हीं किताबों में आपने शायद ये भी पढ़ा हो कि पृथ्वीराज चौहान दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले अंतिम हिन्दू राजा थे पर इतिहास की किसी किताब ने आपको ये नहीं बताया होगा कि शेरशाह सूरी और अकबर के बीच दिल्ली की गद्दी पर पूरे वैदिक रीति से राज्याभिषेक करवाते हुए एक हिन्दू सम्राट भी राज्यासीन हुए थे जिन्होंने 350 साल के इस्लामी शासन को उखाड़ फेंका था, इन किताबों ने आपको नहीं बताया होगा कि दिल्ली की गद्दी पर बैठने के बाद मध्यकालीन भारत के इस अंतिम हिन्दू सम्राट ने "विक्रमादित्य" की उपाधि धारण की थी और अपने नाम के सिक्के चलवाये थे, इन्होंनें आपको ये भी नहीं बताया होगा कि इस पराक्रमी शासक ने अपने जीवन में 24 युद्ध का नेतृत्व करते हुए 22 में विजय पाई थी !
जाहिर है उस सम्राट के बारे में न तो हमें इतिहास की किताबों ने बताया और न ही हमारे इतिहास के शिक्षकों ने हमें पढ़ाया तो फिर कुछ पता हो भी तो कैसे हो?
एक गरीब ब्राह्मण पुरोहित के घर में एक पुत्र पैदा हुआ था जो अपनी योग्यता और लगन से 1553 में सूरी सल्तनत के मुख्य सेनापति से लेकर प्रधानमंत्री के ओहदे तक पहुँच गये थे, 1555 ईस्वी में जब मुगल सम्राट हूमायूं की मृत्यु हुई थी उस समय वो बंगाल में थे और वहीं से वो मुगलों को भारत भूमि से खदेड़ने के इरादे से सेना लेकर दिल्ली चल पड़े और मुगलों को धूल चटाते हुए 7 अक्टूबर 1556 को दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान हुये. दिल्ली के पुराने किले ने सैकड़ों साल बाद पूर्ण वैदिक रीति से एक हिन्दू सम्राट का राज्याभिषेक होते देखा. हेमू ने राज्याभिषेक के बाद अजातशत्रु सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर 'हेमचंद विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की. उनके सिंहासनरूढ़ होने के एक महीने बाद ही अकबर ने एक बड़ी भारी सेना उनके खिलाफ भेजी. महान पराक्रमी हेमू ने पानीपत के इस दूसरे युद्ध में अकबर की सेना में कोहराम मचा दिया पर धोखे से किसी ने उनकी दायीं आँख में तीर मार दिया जिससे युद्ध का पासा पलट गया और हेमू हार गये. 5 नवंबर 1556 का दिन भारत के लिये दुर्भाग्य लेकर आया, अकबर के जालिम सलाहकार बैरम खान ने इस अंतिम हिन्दू सम्राट को कलमा पढ़ने को कहा और उनके इंकार के बाद उनका सर कलम करवा दिया. कहा जाता है कि पानीपत की दूसरी लड़ाई के बाद जब अकबर ने घायल हेमू के सर कलम का आदेश दिया था तब हेमू के पराक्रम से परिचित उसके किसी भी सैनिक में ये हिम्मत नहीं थी कि वो हेमू का सर काट सके. इन बुजदिलों ने हेमू की बर्बर हत्या करने के बाद उनके 80 वर्षीय पिता पूरनदास पर भी इस्लाम कबूलने का दबाब डाला और इंकार करने पर उनकी भी हत्या करवा दी !
अगर पानीपत के द्वितीय युद्ध में छल से प्रतापी सम्राट हेमू नहीं मारे जाते तो आज भारत का इतिहास कुछ और होता मगर हमारी बदनसीबी है कि हमें अपने इतिहास का न तो कुछ पता है न ही उसके बारे में कुछ जानने में कोई दिलचस्पी है इसलिये कोई इरफ़ान हबीब, विपिन चन्द्र या रोमिला थापर हमें कुछ भी पढ़ा जाता है और कोई भंसाली हमारे ऐतिहासिक चरित्रों के साथ बलात्कार करने की हिमाकत करता है !
वो ऐसी हिमाकत इसलिये कर सकतें हैं क्योंकि उस सम्राट की हवेली जो रेवाड़ी के कुतुबपुर मुहल्ले में स्थित हैं वो आज बकरी और मुर्गी पालन के काम आ रही है और इधर हम मुगलों और आक्रांताओं के मजारों, गुसलखानों और हरमखानों का हर साल रंग-रोगन करवा रहें हैं.
ये दोगले इतिहासकार तो हेमू को यथोचित स्थान देने से रहे इसलिये आखिरी हिंदू सम्राट 'हेमचंद विक्रमादित्य' के बारे में खुद भी पढ़िए, अपने बच्चों को भी पढ़ाइये, इतिहासकारों की गर्दनें दबोच कर हेमू की उपेक्षा पर उनसे सवाल पूछिए और हो सके तो कभी हेमू की हवेली पर जाकर उनको नमन करिये वर्ना भंसालियों और हबीबों द्वारा अपमानित होने वाली सूची में माँ पद्मिनी अंतिम नहीं है, ये किसी दिन हेमू को भी मुग़ल दरबार का गुलाम बनाकर अपने फ़िल्मी बाजार में बेच देंगे !!!
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