Tuesday, October 11, 2016

अमृत वचन
संघ की शाखा खेल खेलने अथवा परेड करने का स्थान मात्र नहीहै अपितु सज्जनो की सुरक्षा का बिन बोले अभिवचन है तरुणों को अनिष्ट व्यसनों से मुक्त रखनेवाला संस्कार पीठ है महिलाओ की निर्भयता व् सभ्य आचरण का आश्वासन है दुष्ट तथा देशद्रोही शक्तिओ पर अपनी धाक स्थापित करनेवाली शक्ति है समाज पर अकस्मात आनेवाली विपत्तियों व् संकटों में त्वरित व् निरपेक्ष सहायता मिलने का आशा केंद्र है और सबसे प्रमुख बात यह है की समाज जीवन के विविध क्षेत्रो में सुयोग्य कार्यकर्ता उपलब्ध कराने हेतु योग्य प्रशिक्षण देने वाला विद्यापीठ है
     प पू   बालासाहेब देवरस



अमृत वचन

अधर्म का उच्छेद करने के लिए संघ रूपी भगवद अवतार जगत में पुनः एक बार हुआ है। सर्वशक्तिमान ईश्वर कभी व्यक्ति के रूप में तो कभी संघ के रूप में प्रकट होते हैं। यह कलियुग है। कलियुग में संघ ही शक्ति है। अतः ईश्वर संघ के रूप में ही जगत में प्रकट होंगे और यह स्वरूप हमारे सामने विद्यमान है।
- प० पू० गुरूजी

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